Gulzar: The Maestro of Poetry and Filmmaking
Early Life and Background:
Literary Journey of Gulzar:
Influences and Style:
Notable Works:
Themes Explored:
Best Shayari Of Gulzar
आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इस की भी आदमी सी है
आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने एतिबार किया
जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ
उस ने सदियों की जुदाई दी है
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में
रुक कर अपना ही इंतिज़ार कियाइश्क़ की तलाश में
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं
क्यों निकलते हो तुम,
इश्क़ खुद तलाश लेता है
जिसे बर्बाद करना होता है।वो शख़्स जो कभीमेरा था ही नही,उसने मुझे किसी और का भीनही होने दिया.
सालों बाद मिले वो
गले लगाकर रोने लगे,
जाते वक्त जिसने कहा था
तुम्हारे जैसे हज़ार मिलेंगे.जब भी आंखों में अश्क भर आए
लोग कुछ डूबते नजर आए
चांद जितने भी गुम हुए शब के
सब के इल्ज़ाम मेरे सर आएजबसे तुम्हारे नाम की
मिसरी होंठ लगाई है
मीठा सा गम है,
और मीठी सी तन्हाई हैवक्त कटता भी नही
वक्त रुकता भी नही
दिल है सजदे में मगर
इश्क झुकता भी नहीएक बार जब तुमको बरसते पानियों के पार देखा था
यूँ लगा था जैसे गुनगुनाता एक आबशार देखा था
तब से मेरी नींद में बसती रहती हो
बोलती बहुत हो और हँसती रहती हो.होती नही ये मगर
हो जाये ऐसा अगर
तू ही नज़र आए तू
जब भी उठे ये नज़रमेरा ख्याल है अभी, झुकी हुई निगाह में
खिली हुई हँसी भी है, दबी हुई सी चाह में
मैं जानता हूं, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
यही ख्याल है मुझे, के साथ आ रही है वोतुम्हें जिंदगी के उजाले मुबारक
अंधेरे हमें आज रास आ गए हैं
तुम्हें पा के हम खुद से दूर हो गए थे
तुम्हें छोड़कर अपने पास आ गए हैंतेरे इश्क़ में तू क्या जाने
कितने ख्वाब पिरोता हूं
एक सदी तक जागता हूं मैं
एक सदी तक सोता हूंगुल पोश कभी इतराये कहीं
महके तो नज़र आ जाये कहीं
तावीज़ बनाके पहनूं उसे
आयत की तरह मिल जाये कहींपता चल गया है के मंज़िल कहां है
चलो दिल के लंबे सफ़र पे चलेंगे
सफ़र ख़त्म कर देंगे हम तो वहीं पर
जहाँ तक तुम्हारे कदम ले चलेंगेउम्मीद तो नही
फिर भी उम्मीद हो
कोई तो इस तरह
आशिक़ शहीद होकोई आहट नही बदन की कहीं
फिर भी लगता है तू यहीं है कहीं
वक्त जाता सुनाई देता है
तेरा साया दिखाई देता हैटकरा के सर को जान न दे दूं तो क्या करूंकब तक फ़िराक-ए-यार के सदमे सहा करूंमै तो हज़ार चाहूँ की बोलूँ न यार सेकाबू में अपने दिल को न पाऊं तो क्या करूंएक बीते हुए रिश्ते की
एक बीती घड़ी से लगते हो
तुम भी अब अजनबी से लगते होप्यार में अज़ीब ये रिवाज़ है,
रोग भी वही है जो इलाज है.जाने कैसे बीतेंगी
ये बरसातें
माँगें हुए दिन हैं,
माँगी हुई रातें.ऐसा कोई ज़िंदगी से वादा तो नही था
तेरे बिना जीने का इरादा तो नही था.वो बेपनाह प्यार करता था मुझे
गया तो मेरी जान साथ ले गयाझुकी हुई निगाह में, कहीं मेरा ख्याल था
दबी दबी हँसी में इक, हसीन सा गुलाल था
मै सोचता था, मेरा नाम गुनगुना रही है वो
न जाने क्यूं लगा मुझे, के मुस्कुरा रही है वोइस दिल में बस कर देखो तो
ये शहर बड़ा पुराना है
हर साँस में कहानी है
हर साँस में अफ़साना हैकोई वादा नही किया लेकिन
क्यों तेरा इंतज़ार रहता है
बेवजह जब क़रार मिल जाए
दिल बड़ा बेकरार रहता हैधीरे-धीरे ज़रा दम लेना
प्यार से जो मिले गम लेना
दिल पे ज़रा वो कम लेनादबी-दबी साँसों में सुना था मैंने
बोले बिना मेरा नाम आया
पलकें झुकी और उठने लगीं तो
हौले से उसका सलाम आयाखून निकले तो ज़ख्म लगती है
वरना हर चोट नज़्म लगती है.उड़ते पैरों के तले जब बहती है जमीं
मुड़के हमने कोई मंज़िल देखी तो नही
रात दिन हम राहों पर शामो सहर करते हैं
राह पे रहते हैं यादों पे बसर करते हैं
Filmmaking Career of Gulzar:
Early Days:
Style and Themes:
Awards and Achievements:
Conclusion:
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